साए का इश्क़-3

"तन्हाई के अंधेरों में जब साए उभरते हैं,
दिल की गहराई में खौफ और मोहब्बत दोनों ठहरते हैं।
जिसे समझा था दुश्मन, वही अपना लगने लगे,
इस अजनबी खेल में दिल और दिमाग दोनों उलझने लगे।"
अज़ल और जिया की शादी एक सजा थी, जो अदालत के फैसले की वजह से हुई। जिया के लिए यह रिश्ता उसकी इज्ज़त पर लगी चोट को सहने का जरिया था, जबकि अज़ल इसे सिर्फ एक मजबूरी मानता था। मगर इस रिश्ते में एक और अदृश्य किरदार भी था—अज़ल पर एक जिन्न का साया।

शादी के बाद से जिया को अज़ल में बदलाव नजर आने लगे। वह रातों को नींद में बड़बड़ाता, चीखता और कभी-कभी खुद से बातें करता। जिया को यह सब सामान्य नहीं लगा। उसने मौलवी से सलाह ली, जिसने उसे एक तावीज़ दिया और कहा कि इसे अज़ल के कमरे में रख दे।

जब जिया ने ऐसा किया, तो अज़ल और भी गुस्सैल और बेचैन हो गया। वह जिया से दूर रहने की कोशिश करता, मगर उसकी आँखों में एक खौफ साफ झलकता था।

एक दिन अज़ल और जिया के घर पर एक डिनर पार्टी का निमंत्रण आया। अज़ल ने जिया को तैयार होने के लिए कहा।

"मैं कहीं नहीं जाना चाहती," जिया ने नफरत भरी नजरों से कहा।

"तुम्हारे चाहने से कुछ नहीं होता। तैयार हो जाओ।" अज़ल की आवाज में एक ऐसा आदेश था जिसे जिया मना नहीं कर सकी।
अज़ल नीचे इंतजार कर रहा था, लेकिन जिया के देर करने पर वह तेज कदमों से ऊपर आया। उसने कमरे का दरवाजा खोला।
जिया एक सुंदर साड़ी में तैयार हो रही थी। वह आइने के सामने खड़ी होकर झुमके पहन रही थी। अज़ल के कदम रुक गए। उसकी नजरें जिया पर टिक गईं। वह उसे ऐसे देख रहा था जैसे कोई भूला हुआ एहसास उसके भीतर जाग गया हो।

जिया ने उसे शीशे में देखते हुए नोटिस किया। उसने झिझकते हुए पूछा, "ऐसे क्या देख रहे हो?"

अज़ल ने धीमे स्वर में कहा, "कुछ नहीं।"

वह उसके करीब आया और धीरे से अपना हाथ उसके गाल पर रखा। जिया का दिल तेज धड़कने लगा। लेकिन तभी, अज़ल का हाथ अचानक रुक गया। वह पीछे हट गया, जैसे किसी अदृश्य ताकत ने उसे रोक लिया हो।

अज़ल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "लेट हो रहा है। चलो।"

जिया ने पार्टी में जाने के लिए खुद को तैयार कर लिया। अज़ल ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहा, "आज यह इज्जत सिर्फ तुम्हारे लिए है।"

जिया ने उसे अनमने ढंग से देखा और अंदर बैठ गई। लेकिन जैसे ही वह कार में बैठी, उसे एक अजीब एहसास हुआ। कार के पिछले हिस्से में एक अदृश्य उपस्थिति थी।

"यह गाड़ी में कोई और है," जिया ने धीमे स्वर में कहा।

अज़ल ने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा, "तुम हमेशा वह देखती हो, जो है ही नहीं।"

लेकिन जिया को अपनी बात पर यकीन था। कार के शीशे में उसे परछाई जैसी कोई चीज़ दिखी, लेकिन जब उसने पलटकर देखा, तो वहाँ कुछ नहीं था।

पार्टी में, अज़ल और जिया ने अलग-अलग जगहों पर बैठने की कोशिश की, लेकिन उनकी नजरें बार-बार एक-दूसरे से टकरा रही थीं।

"तुम मुझे देखना कब बंद करोगे?" जिया ने अज़ल से कहा।

"जब तुम खुद को देखना बंद करोगी," अज़ल ने ठंडी मुस्कान के साथ जवाब दिया।

पार्टी के दौरान, जिया ने देखा कि अज़ल कभी-कभी एक कोने में खड़ा होकर किसी से बात करता था। लेकिन वह वहाँ अकेला था।

"यह किससे बात कर रहा है?" जिया ने खुद से पूछा।

जब वह उसके पास गई, तो अज़ल ने झटके से पलटकर कहा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

"तुम किससे बात कर रहे थे?"

अज़ल ने गंभीर स्वर में कहा, "तुम्हें हर चीज में शक क्यों होता है?"

जिया कुछ कहने वाली थी, लेकिन तभी पार्टी की लाइट्स अचानक से बंद हो गईं। पूरा हॉल अंधेरे में डूब गया।

लाइट्स बंद होते ही, जिया ने महसूस किया कि किसी ने उसकी कलाई पकड़ ली। उसने डरते हुए कहा, "कौन है?"

"यह मैं हूँ," अज़ल ने धीरे से कहा।

"मुझे छोड़ो," जिया ने घबराते हुए कहा।

लेकिन अज़ल ने उसे नहीं छोड़ा। उसके चेहरे के पास झुकते हुए उसने कहा, "तुम्हें डरना नहीं चाहिए। तुम्हारे साथ मैं हूँ।"

जिया को उसकी आवाज में कुछ अजीब सा लगा। उसकी आवाज भारी और भयानक थी।

तभी लाइट्स वापस आ गईं, और जिया ने देखा कि अज़ल की आँखें लाल हो चुकी थीं। वह पीछे हट गई।

"तुम... तुम्हारे साथ क्या हो रहा है?"

अज़ल ने उसे घूरते हुए कहा, "तुम्हें सब जानने का इतना शौक क्यों है, जिया?डिनर पार्टी खत्म होने के बाद अज़ल और जिया कार में बैठे। कार में गहरी खामोशी थी, लेकिन उस खामोशी के पीछे हजारों अनकही बातें थीं। जिया खिड़की से बाहर देख रही थी। उसकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन उसके दिल में एक अजीब सा एहसास चल रहा था।

"तुमने पार्टी में कुछ खाया नहीं," अज़ल ने अचानक खामोशी तोड़ी।
"मुझे भूख नहीं थी," जिया ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया।
"झूठ मत बोलो। मुझे पता है, तुम्हें पार्टी में कोई पसंद नहीं आया।"

जिया ने उसकी तरफ गुस्से से देखा। "तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?"

अज़ल मुस्कुराया। "फर्क पड़ता है। शायद तुम्हें यह बात समझने में थोड़ा वक्त लगे।"

जिया ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा, "तुम्हारी बातें मुझे परेशान करती हैं।"

"और तुम्हारी खामोशी मुझे।"
जिया ने अचानक महसूस किया कि कार के अंदर कोई और भी मौजूद है। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन सीट खाली थी।

"तुम ठीक हो?" अज़ल ने पूछा।

"हाँ, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि यहाँ कोई और है," जिया ने धीरे से कहा।

अज़ल ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, "तुम हमेशा कुछ अलग सोचती हो।"

मगर सच तो यह था कि अज़ल ने भी उस साए को महसूस किया था। उसकी पकड़ स्टीयरिंग पर कस गई, और उसने अपनी नजरें सड़क पर टिका दीं।

घर लौटने के बाद जिया सीधा अपने कमरे में चली गई। वह पार्टी के कपड़ों से थक चुकी थी और जल्दी से बदलना चाहती थी। उसने साड़ी उतारी और हल्के रंग की नाइटी पहन ली। जैसे ही वह आईने के सामने खड़ी हुई, दरवाजा खुला।
अज़ल अंदर आया।

"क्या तुम्हें दरवाजा खटखटाना नहीं आता?" जिया ने गुस्से में पूछा।

"यह मेरा ही घर है," अज़ल ने कहा।

जिया ने उसकी तरफ एक तीखी नजर डाली और आईने में बाल सँवारने लगी।

अज़ल धीरे-धीरे उसके पास आया। उसने उसकी कमर पर हाथ रखा।

"क्या कर रहे हो तुम?" जिया ने चौंकते हुए पूछा।

"बस यह देख रहा हूँ कि मेरी नफरत कब तुम्हारी नफरत से हार जाएगी," अज़ल ने गहरी आवाज में कहा।

"तुम्हें मुझसे नफरत है, तो यह सब क्यों कर रहे हो?"

अज़ल ने उसकी आँखों में देखा। "शायद इसलिए, क्योंकि यह नफरत अब उतनी सच्ची नहीं रही।"

जिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने अज़ल के हाथ को हटाने की कोशिश की, लेकिन उसके स्पर्श में एक अजीब सी गर्माहट थी।
अज़ल ने धीरे से जिया को अपने करीब खींचा। उनकी आँखें मिलीं।

"यह गलत है," जिया ने कहा।

"तो इसे सही होने दो," अज़ल ने धीरे से कहा।
जिया चाहकर भी खुद को रोक नहीं सकी। अज़ल का चेहरा उसके इतना करीब था कि वह उसकी साँसों को महसूस कर सकती थी।

"तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी," जिया ने धीरे से कहा।

"और मैंने अपनी भी," अज़ल ने जवाब दिया।

उस पल में दोनों ने एक-दूसरे को बाँहों में भर लिया।
सुबह जिया उठी। रात के पलों को याद करके उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। उसने अज़ल को सोते हुए देखा। पहली बार उसे अज़ल मासूम लगा।

वह किचन में गई और नाश्ता बनाने लगी।

"तुम्हें यह सब करने की जरूरत नहीं है," अज़ल की आवाज पीछे से आई।

जिया ने पलटकर देखा। "मुझे अच्छा लगता है। तुमने नाश्ता किया?"

"तुम नौकरों को क्यों नहीं बुलाती?"

"क्योंकि मैं चाहती हूँ कि यह नाश्ता खास हो," जिया ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।

अज़ल ने पहली बार महसूस किया कि जिया की मुस्कान में एक अजीब सा सुकून था।

जैसे ही अज़ल ने किचन से बाहर कदम रखा, उसने शीशे में एक परछाई देखी।

"तुम्हें अपनी हद याद है?" जिन्न की आवाज गूँजी।

"मैं अब तुम्हारे आदेश नहीं मानूंगा," अज़ल ने गुस्से से कहा।

"तुम्हारी यह मोहब्बत तुम्हें बर्बाद कर देगी। याद रखना, जिया तुम्हारी कमजोरी है। और मैं उसे चैन से नहीं जीने दूँगा।"

अज़ल ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह वापस किचन में गया और जिया के पास बैठ गया।

"तुम ठीक हो?" जिया ने पूछा।

"हाँ," अज़ल ने झूठ बोला। लेकिन उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था।

उस रात के बाद जिया और अज़ल दोनों के रिश्ते में बदलाव आया। जिया ने पहली बार महसूस किया कि अज़ल के भीतर एक मासूम इंसान छिपा है। लेकिन साथ ही, उसे यह भी एहसास हुआ कि उस पर एक अजीब साया था।

"क्या यह प्यार इन दोनों को बचा पाएगा,
या फिर जिन्न की साजिश उन्हें हमेशा के लिए अलग कर देगी?"


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