रोहित, 22 वर्षीय एक युवक, दिल्ली के एक शांत कॉलोनी में अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसकी दिनचर्या काफी व्यस्त रहती थी, लेकिन वह हर शाम अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए पार्क में दौड़ने जाता था। कॉलोनी का माहौल बेहद शांतिपूर्ण था, परंतु कॉलोनी के पास एक पुरानी हवेली थी जिसे लोग "शैतान की हवेली" के नाम से जानते थे। इस हवेली को लोग अपशगुन मानते थे, क्योंकि इसके आस-पास अजीब घटनाएं घटित होती थीं। कोई भी व्यक्ति रात के समय इस हवेली के पास से गुजरने की हिम्मत नहीं करता था।
यह कहानी एक ऐसी ही शाम से शुरू होती है, जब रोहित पार्क में दौड़ रहा था और उसकी जिंदगी का सबसे भयानक राज़ उसके सामने खुलने वाला था।
(दृश्य: रोहित पार्क में दौड़ रहा है, लेकिन उसे एक अजीब सी घबराहट महसूस हो रही है, जैसे कोई उसे देख रहा हो।)
रोहित (अपने मन में सोचते हुए): "यह अजीब सा एहसास क्यों हो रहा है? जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा हो... शायद यह मेरी गलतफहमी है।"
(अचानक से एक काला कुत्ता उसके सामने आता है। कुत्ता बिल्कुल काला है, उसकी आँखें लाल और चमकदार हैं। वह पूरी तरह चुपचाप रोहित को देख रहा है।)
रोहित (चौंकते हुए): "अरे! यह कुत्ता यहाँ कैसे आ गया? लगता है यह किसी का पालतू कुत्ता होगा।"
(लेकिन कुत्ता न हिला और न ही भौंका। वह बस रोहित को घूरता रहा। रोहित को एक अनजानी दहशत ने घेर लिया।)
रोहित (मन में): "कुछ ठीक नहीं लग रहा। यहाँ से निकलना चाहिए।"
रोहित धीरे-धीरे पीछे हटने लगा, परंतु जैसे ही उसने मुड़ने की कोशिश की, कुत्ते ने अचानक उसकी तरफ दौड़ लगा दी। कुत्ता काफी तेजी से उसकी ओर बढ़ा, मानो वह किसी की आत्मा हो जो किसी खास मकसद से आई हो।)
रोहित (डरते हुए): "हे भगवान! यह कुत्ता पागल हो गया है!"
(रोहित भागने की कोशिश करता है, लेकिन कुत्ता और तेजी से उसका पीछा करता है। पार्क के चारों ओर अंधेरा फैलने लगा और हवाओं में एक अजीब सी सिहरन आ गई। रोहित के पसीने छूटने लगे। वह जितना तेज दौड़ता, कुत्ता उतना ही उसके करीब आ जाता।)
रोहित एक सुनसान गली में दौड़ते हुए पहुंचता है। चारों ओर सन्नाटा है, लेकिन कुत्ते की खतरनाक गुर्राहट उसके कानों में गूंज रही है। अचानक वह एक पुरानी दीवार के पास जाकर रुकता है, और उस दीवार के पार जाने की कोशिश करता है।)
रोहित (हांफते हुए): "कोई... कोई तो हो... मदद करो!"
(लेकिन वहां कोई नहीं था। तभी कुत्ते ने जोर से भौंकना शुरू किया। उसकी आवाज मानो पूरे माहौल को कंपा रही हो। रोहित दीवार के ऊपर चढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन तभी कुत्ते ने उसकी टांग पर झपट्टा मारा।)
रोहित (चिल्लाते हुए): "आह! छोड़ो मुझे
कुत्ते की पकड़ इतनी मजबूत थी कि रोहित का खून बहने लगा। दर्द से कराहते हुए वह अपने को छुड़ाने की कोशिश करता है, लेकिन कुत्ते की शक्ति किसी भूतिया ताकत से कम नहीं थी। रोहित की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। अचानक, कुत्ते की आँखें और भी लाल हो गईं, और वह धीरे-धीरे हवा में गायब होने लगा।)
रोहित (घबराते हुए): "यह... यह क्या हो रहा है?"
(जैसे ही कुत्ता पूरी तरह से गायब हो गया, रोहित बेहोश होकर गिर पड़ा।)
अगली सुबह, रोहित एक अस्पताल के बिस्तर पर जागता है। उसके माता-पिता उसके पास खड़े हैं। डॉक्टर उसकी हालत की जांच कर रहे हैं।)
डॉक्टर: "तुम्हें काफी गहरी चोटें आई हैं, लेकिन चिंता की बात नहीं है। तुम जल्दी ठीक हो जाओगे।"
रोहित (कमजोरी से): "वो... कुत्ता... कहाँ है?"
डॉक्टर (हैरानी से): "कुत्ता? कौन सा कुत्ता? तुम्हें पार्क में बेहोश पाया गया था, और तुम्हारे शरीर पर चोटों के निशान थे, लेकिन वहाँ कोई कुत्ता नहीं था।"
रोहित (घबराते हुए): "नहीं, वो कुत्ता... वो भूतिया था... उसने मुझ पर हमला किया!"
(डॉक्टर और उसके माता-पिता एक-दूसरे की ओर देखने लगे, जैसे कि वे उसकी बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हों।)
माता: "बेटा, तुम्हें शायद कोई बुरा सपना आया होगा। अब आराम करो।"
(रोहित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा था - वह सपना था या सच्चाई? लेकिन उसके जख्म और वो खून से सना पैर उसे याद दिला रहे थे कि वह कोई सपना नहीं था।)
कुछ दिनों बाद, रोहित पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है, लेकिन वह उस घटना को नहीं भूल पाता। उसे अपने सवालों के जवाब चाहिए थे। एक दिन वह फिर से उस पार्क के पास गया, जहाँ वह घटना घटी थी।)
(वह हवेली की ओर देखता है, और उसे अचानक महसूस होता है कि वह कुत्ता उसी हवेली से जुड़ा हुआ था। हवेली के बारे में जो कहानियां उसने सुनी थीं, वे शायद सच थीं।)
(रोहित की नजरें हवेली के टूटी-फूटी दरवाजे पर जाकर ठहर जाती हैं।जिज्ञासा उसे अंदर खींच रही है। वह धीरे-धीरे हवेली के पास पहुंचता है और दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है।)
(दरवाजा अचानक जोर से खटखटाता है, जैसे कोई अंदर से जोर लगा रहा हो। रोहित का दिल तेजी से धड़कने लगता है। वह अपने हाथों को दरवाजे पर रखता है और धीरे-धीरे उसे खोलता है। जैसे ही दरवाजा खुलता है, एक ठंडी हवा का झोंका आता है। हवेली के अंदर से धुंधली रोशनी दिखाई देती है और अचानक...
रोहित उस शापित हवेली के अंदर फंस चुका है, और अब उसके सामने क्या रहस्य खुलने वाले हैं, यह कोई नहीं जानता। क्या वह शेरा की आत्मा से बच पाएगा, या वह भी हवेली के शाप का शिकार हो जाएगा? क्या वह उस भयानक रहस्य को सुलझा पाएगा, जिसने हवेली को भूतों का घर बना दिया है?
यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए अगला भाग, जहाँ हर कदम पर डर और सस्पेंस आपका इंतजार कर रहे हैं।
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