यह कहानी एक छोटे से गाँव "धरहर" की है, जहाँ हर रात एक खौफनाक सन्नाटा छा जाता है। लोग इस डर से सूरज ढलते ही अपने घरों में छिप जाते हैं क्योंकि रात के अंधेरे में एक रहस्यमयी स्त्री घूमती है, जिसे गाँव वाले "स्त्री" के नाम से जानते हैं। ये स्त्री अपनी आवाज़ बदलकर गाँव के लोगों को बुलाती है, और जो उसकी आवाज़ पर जाता है, वो फिर कभी वापस नहीं आता। गाँव में उसके नाम से ही सबका खून जम जाता है।
धरहर गाँव चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां के लोग सीधे-सादे, खेती-बाड़ी से जीवनयापन करने वाले हैं। दिन में ये गाँव एक सामान्य गाँव की तरह ही दिखता है, पर जैसे ही सूरज ढलता है, हवा में अजीब सी ठंडक और खौफ महसूस होने लगता है। लोगों के दरवाजे बंद हो जाते हैं, खिड़कियाँ अंदर से लटकाई जाती हैं, और सब अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं। रात के समय कोई भी बाहर नहीं निकलता, क्योंकि "स्त्री" का खौफ सबके दिलों में बस चुका है।
एक रात गाँव के बाहर कुछ लोग बैठे थे, जब अचानक एक महिला की आवाज सुनाई दी।
स्त्री: "रामू... रामू..." (आवाज़ बिलकुल उसकी माँ जैसी थी)
रामू (घबराते हुए): "ये... ये तो मेरी माँ की आवाज़ है!"
साथी: "अरे नहीं, ये वही है... स्त्री! मत जाना बाहर!"
पर रामू की उत्सुकता उसे खींच ले गई। उसने दरवाजा खोला और बाहर निकल गया। उस रात से रामू का कोई पता नहीं चला।
धीरे-धीरे गाँव में बातें फैलने लगीं।
गाँव का मुखिया: "हर साल, किसी न किसी को वो स्त्री खींच ले जाती है। पर हम कुछ नहीं कर सकते। हमें रात को दरवाजा बंद कर लेना चाहिए और उसके बुलावे को नज़रअंदाज़ करना चाहिए।"
एक बूढ़ी औरत: "पर हम कब तक डरते रहेंगे? आखिर ये स्त्री कौन है और वो ऐसा क्यों करती है?"
गाँव में कोई जवाब नहीं था। सभी बस अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहने की कोशिश करते थे।
गाँव का एक युवक, मोहन, जो बहुत साहसी था, उसने तय किया कि वो इस रहस्य से पर्दा उठाएगा। उसने गाँव वालों से बात की और योजना बनाई।
मोहन: "हम यूं डर-डर कर नहीं जी सकते। मुझे इस स्त्री का सामना करना होगा।"
गाँव वाले (चिंतित): "नहीं मोहन, ये खतरनाक है। बहुत से लोग गए और कभी वापस नहीं आए। तुम भी..."
मोहन: "अगर हम कुछ नहीं करेंगे, तो हम सब एक-एक कर मारे जाएंगे।"
मोहन ने अपने दोस्तों के साथ रात में बाहर निकलने का निश्चय किया। वो सब साथ में बाहर निकले और गाँव की सीमा तक पहुँच गए। अचानक एक महिला की मधुर आवाज सुनाई दी।
स्त्री: "मोहन... मेरे बेटे, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
मोहन (चौंकते हुए): "ये... ये तो मेरी माँ की आवाज़ है!"
उसके दोस्त (चिल्लाते हुए): "नहीं मोहन, ये छलावा है। पीछे हटो!"
मोहन को आवाज़ के पीछे कुछ दिखा - एक छाया जो पास आ रही थी। वो और उसके दोस्त भागने लगे, पर कुछ दूर जाते ही स्त्री ने अपना असली रूप दिखाया। उसके लंबे, उलझे हुए बाल, लाल चमकती आँखें और डरावनी हंसी से पूरा वातावरण डरावना हो गया। उसने मोहन के एक दोस्त को अपनी ओर खींच लिया और फिर धीरे-धीरे गायब हो गई।
अगले दिन, मोहन और उसके बचे हुए दोस्तों ने गाँव के बड़े बुजुर्गों से बात की। उन्होंने बताया कि यह स्त्री गाँव की एक महिला थी, जो कई साल पहले इस गाँव की थी। उसका नाम शारदा था, और वह गाँव की सबसे सुंदर और होशियार महिला थी।
बूढ़ी औरत: "शारदा को एक दिन गाँव के कुछ लोगों ने बदनामी के डर से मार डाला था। वह अपनी सच्चाई साबित नहीं कर पाई थी और गाँव के लोगों ने उसे निर्दयता से मारकर जंगल में फेंक दिया। अब वह बदला लेने आई है, वो अपनी आत्मा को शांति नहीं दे पा रही।"
मोहन ने ठान लिया कि वह इस स्त्री की आत्मा को मुक्ति दिलाकर गाँव को इस खौफ से मुक्त करेगा। वह और उसके दोस्त गाँव के पुजारी के पास गए, जिन्होंने उन्हें बताया कि शारदा की आत्मा को शांति केवल उसकी सच्चाई दुनिया के सामने लाने से ही मिलेगी।
मोहन ने पूरी हिम्मत जुटाकर शारदा की आत्मा से संपर्क किया। उसने शारदा को वादा किया कि वह उसकी कहानी को लोगों के सामने रखेगा। शारदा की आत्मा ने मोहन को बताया कि उसे सिर्फ इंसाफ चाहिए।
शारदा: "मैं बदला नहीं चाहती थी, सिर्फ इंसाफ चाहती थी। लोग मुझे गलत समझे और मुझे मार डाला। अब तक मैं भटक रही हूँ।"
मोहन ने गाँव वालों के सामने पूरी सच्चाई बताई और शारदा की कहानी सबको सुनाई। गाँव के मुखिया ने अपनी गलती मानी और शारदा की आत्मा से माफी मांगी। इसके बाद शारदा की आत्मा ने मोहन का धन्यवाद किया और अंततः उसे शांति मिली।
जब सब कुछ शांत हो गया और गाँव के लोग राहत की सांस लेने लगे, तभी एक औरत की हंसी सुनाई दी। यह हंसी शारदा की नहीं थी, यह कोई और थी। मोहन ने चौंकते हुए देखा कि अब उसकी माँ की आवाज़ उसे पुकार रही थी...
"मोहन... मोहन..."
क्या शांति सच में मिल पाई थी? या कोई और रहस्य बाकी था?
पर एक नया खौफ शुरू हो चुका था।
To be continued........
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